सुबह भूल गए थे ज़रा मंदिर जाना,
चलो अब उसी की उपासना हो जाए !
बस अब देर है उसके हाँ करने की,
मेरी ज़मीन मेरा आसमाँ हो जाए !
खुदा करे जो करम तो कुछ ऐसा करे,
उसकी निगाहों में मेरा आशियाँ हो जाए !
मेरी मुहब्बत का असर हो इबादत की तरह,
उसे खुद खुदा होने का गुमाँ हो जाए !
अपने जज़्बात पिरोता हूँ इन अल्फाजों में,
उसके दिल में मेरा नाम-ओ-निशाँ हो जाए !
मज़ा तो जब है की मुहब्बत हो दोनों तरफ,
मैं परवाना और वो मेरी शम्मा हो जाए !
दूरियां बढ़ा देती हैं मुहब्बत का असर,
फासले कुछ तेरे मेरे दरमियाँ हो जाए !
उसकी मुहब्बत मांगती है शहादत मेरी,
आओ मुहब्बात में अब फ़ना हो जाए !
हाल-ए-दिल का बयाँ सब से करें तो करें कैसे,
आओ "साबिर" खुद ही के राजदां हो जाए !!!
tod fod ghazal bhai...
ReplyDeleteshukriya bhaijaan !!!!
ReplyDeleteदूरियां बढ़ा देती हैं मुहब्बत का असर,
ReplyDeleteफासले कुछ तेरे मेरे दरमियाँ हो जाए!
awesome thought!!!
thanks a lot sir !!!!!
ReplyDeletewaah kya baat hai :), great minds think alike :p please share your ghazal as well :)
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