खुदा की नेमतों* का जवाब है कोई,
तुम हकीकत हो या फिर, ख्वाब है कोई !
कहता हूँ मैं तुमको, अच्छाईयों का पारस,
छु दो बस तुम उसको, गर ख़राब है कोई !
आज़ाद हूँ ग़मों की काल कोठरी से मैं,
ज़िन्दगी है रोशन, आफताब** है कोई !
कर लूँगा मैं नशा भी, अगर मुझे बता दो,
तुम्हारे अहसास से नशीली, शराब है कोई !
शर्त लगाता हूँ, तुम ढूंढ के बता दो,
तुमसा ज़माने में, गर जनाब है कोई !
घूमा नहीं हूँ दुनिया ऐसा नहीं है "साबिर",
पाया नहीं है तुमसा, लाजवाब है कोई !
(*कृपा, **सूरज)
very good...
ReplyDeleteDeepak "bedil"
khubsurat gazal hai,badhai.
ReplyDeletethx to all for nice words and encouragement......
ReplyDeleteआपके लब्ज़ों ने मदहोश कर दिया
ReplyDeleteगज़ल है या फ़िर शराब है कोइ ....! बधाई जनाब ..!
उम्दा शेर , बेहतरीन गज़ल
ReplyDeleteहिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई
कृपया अन्य ब्लॉगों को भी पढें और अपनी टिप्पणियां दें
कृपया वर्ड-वेरिफिकेशन हटा लीजिये
वर्ड वेरीफिकेशन हटाने के लिए:
डैशबोर्ड>सेटिंग्स>कमेन्टस>Show word verification for comments?>
इसमें ’नो’ का विकल्प चुन लें..बस हो गया..कितना सरल है न हटाना
और उतना ही मुश्किल-इसे भरना!! यकीन मानिये
Sabse pratham aapka profile bada achha laga...! Rachna oghvate aur laybaddh hai!
ReplyDeleteBlogjagatme swahat hai!
very positive...too good...:)
ReplyDeletethx bhai :)
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