मेरा इरादा नहीं, कोई शिकायत करने का,
मगर हक है मुझे उसकी इबादत (१) करने का !
नामुमकिन है अब तो भुलाना उसे,
ज़ज्बा नहीं खुद से बगावत(२) करने का !
हाल-ए-दिल सुनाने में किया उसका लिहाज़,
क्या फायदा ऐसी किफायत(३) करने का !
वो वक़्त लगाती है मुझे इनकार करने में,
बहुत शुक्रिया मुझपे इनायत(४) करने का !
कोई तजुर्बा ना था यूँ तो दिल लगाने का,
एक इरादा था बस शहादत(५) करने का !
"साबिर" जबरन ही बना दिया इश्क का माहौल,
अंदाज़ जुदा खुद से अदावत(६) करने का !!
१. इबादत = पूजा २. बगावत = विद्रोह ३. किफायत = कम खर्च करना
४. इनायत = कृपा, रहम ५. शहादत = क़ुरबानी, बलिदान ६. अदावत = दुश्मनी
वो वक़्त लगाती है मुझे इनकार करने में,
ReplyDeleteबहुत शुक्रिया मुझपे इनायत(४) करने का !
Just awesome...great thought....
bahut bahut shukriya :)
ReplyDeletenow you're writing !!!! bahot badhiya !!
ReplyDeletethanks a lot !!!
ReplyDelete