Sunday, March 3, 2013

चलन


ये चलन जाने कब से है,
इश्क़ का वास्ता रब से है !
यार तो सब ही हैं अपने,
पर रंजिशें भी सब से है !
जिस लम्हे तूने दिल तोडा,
तेरे मुरीद हम तबसे हैं !
उसे रंज है मेरी रुसवाई का,
अंजान मगर वो सबब से है !
या खुदा तेरे इंसाफ़ का सदका,
हालात तो मेरे गज़ब से हैं !!

7 comments:

  1. Superb!
    Good to read a great post after a long time
    यार तो सब ही हैं अपने,
    पर रंजिशें भी सब से है !
    awesome lines

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  2. Enjoyed reading the above post, it really explains everything in depth, the article is very interesting and successful.

    Good Work Keep it up!

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