स्वतंत्रता
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हनन हो रहा है,
सरे आम, सरे राह, सनन हो रहा है !
जनता की चिंता से मतलब नहीं है,
देश की चिंताओं पे मनन हो रहा है !
दोस्ती-दुश्मनी का तक़ाज़ा नहीं है,
गठबँधन का फ़िर से गठन हो रहा है !
बेईमानी का भी ये तरीका नहीं है,
ओछी नैतिकता का पतन हो रहा है !
वो कहते हैं इससे कोई नाता नहीं है,
पर तार-तार मेरा चमन हो रहा है !
Agreed
ReplyDeleteEnjoyed reading the above post, it really explains everything in depth, the article is very interesting and successful.
ReplyDeleteGood Work Keep it up!
bahut achchhi kavita ke loye badhai..
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