कफ़न पे सेहरा
ख़्वाब सुनहरा है मेरा,
ज़ख्म भी गहरा है मेरा !
कैद है बस तेरी यादें,
और दिल पे पहरा है मेरा !
जनाज़े में यूँ तेरा आना,
जैसे कफ़न पे सेहरा है मेरा !
अब और तुझे लुभाऊँ कैसे,
बदसूरत ये चेहरा है मेरा !
क्या करूँगा मैं चल कर,
वक़्त भी ठहरा है मेरा !
हाल-ए-दिल सुनाता मगर,
दिलबर भी बहरा है मेरा !
बहुत खूब साबिर!!!
ReplyDeleteShukriya mahoday !!!!
ReplyDeleteबहुत निकले मेरे दिल के अरमां मगर फिर भी कम निकले ...
ReplyDelete:)
ReplyDeleteye to bahut hi badhiya hai
ReplyDeleteJi bahut shukriya :)
ReplyDeletebahut hi badhiya....
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