Friday, October 19, 2012
स्वतंत्रता
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हनन हो रहा है,
सरे आम, सरे राह, सनन हो रहा है !
जनता की चिंता से मतलब नहीं है,
देश की चिंताओं पे मनन हो रहा है !
दोस्ती-दुश्मनी का तक़ाज़ा नहीं है,
गठबँधन का फ़िर से गठन हो रहा है !
बेईमानी का भी ये तरीका नहीं है,
ओछी नैतिकता का पतन हो रहा है !
वो कहते हैं इससे कोई नाता नहीं है,
पर तार-तार मेरा चमन हो रहा है !
Friday, September 28, 2012
हस्ती
ये जलवा अपनी हस्ती में है,
जीने का मज़ा मस्ती में है !
नशा तो महँगी शराब का है,
पीने का मज़ा सस्ती में है !
चल रही है अमीरों की दावत,
और फाका आज बस्ती में है !
इनकार-इकरार, वस्ल-हिज़्र,
इश्क का मज़ा परस्ती में है !
कश्ती तो साहिल पर है "साबिर",
मगर तूफाँ आज कश्ती में है !!
Thursday, September 20, 2012
गिलहरी
अखरोट खाती हुई गिलहरी सी कोई,
मेरी ज़िन्दगी में आई थी, परी सी कोई !
महक उठता था दिल उसके तसव्वुर से,
गधे को मिल गई थी घास, हरी सी कोई !
उसकी आमद, ख़ुदा की नेमत सी लगी,
कड़कती सर्दियों में धूप, सुनहरी सी कोई !
मौका भी ना मिला इज़हार-ए-इश्क करने का,
तक़दीर की चाल थी बड़ी, गहरी सी कोई !!
Thursday, August 23, 2012
तुम
अजब हो तुम, ग़जब हो तुम,
मेरी ज़िन्दगी का सबब हो तुम !
गीता के श्लोक, कुरान की आयतें,
मेरा धरम, मेरा मज़हब हो तुम !
और क्या कहूँ, मैं शान में तुम्हारी,
जो मैंने चाहा, वो सब हो तुम !!!!
Sunday, January 8, 2012
वो
मेरे पूछने पर इन्कार नहीं कर पाते हैं वो,
खुद मुहब्बत का इज़हार नहीं कर पाते हैं वो !
मैं खुश हूँ उनसे ख्वाबों-ख्यालों में मिलकर,
लेकिन कभी मेरा दीदार नहीं कर पाते हैं वो !
यूँ नहीं की मुहब्बत से ऐतराज़ है उन्हें,
मगर फ़िर मुझसे प्यार नहीं कर पाते हैं वो !
सोचा था हाल-ए-दिल कहेंगे उनसे मिलकर,
मेरे इरादों पर ऐतबार नहीं कर पाते हैं वो !
"साबिर" क्या कहूँ उनके रूठने का सबब,
मुझसे कभी तकरार नहीं कर पाते हैं वो !
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