हस्ती
ये जलवा अपनी हस्ती में है,
जीने का मज़ा मस्ती में है !
नशा तो महँगी शराब का है,
पीने का मज़ा सस्ती में है !
चल रही है अमीरों की दावत,
और फाका आज बस्ती में है !
इनकार-इकरार, वस्ल-हिज़्र,
इश्क का मज़ा परस्ती में है !
कश्ती तो साहिल पर है "साबिर",
मगर तूफाँ आज कश्ती में है !!
वाह वाह, कश्ती तो साहिल पर है "साबिर",
ReplyDeleteमगर तूफाँ आज कश्ती में है !!....
बहुत खूब...
bahut shurkriya !!!
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